Tuesday 18 August 2015

शैतान बन्दर
वन में रहता था एक शरारती बन्दर
हर पल कुछ चलता ही रहता था उसके मन के अंदर

था वह बहुत ही नटखट और शैतान
वन के हर प्राणी को उसने कर रखा था परेशान

कभी पकड़ लेता वो पूंछ किसी हिरण की
या खींचता किसी सोये हुए हाथी के कान

कभी किसी खरगोश को था वो खूब डराता
चुपके से आकर खूब ज़ोर से था चिल्लाता

एक बड़ी झील भी थी उस वन में
कई मगरमच्छ रहते थे उस पानी में

उनको तंग करने में आता था बन्दर को खूब मज़ा
एक मगरमच्छ को आया पर कुछ ज़्यादा ही गुस्सा

छोड़ दिया उसने गुस्से में अपना खाना-पीना
बन्दर ने मुश्किल कर दिया था उसका जीना

उस मगरमच्छ ने मन ही मन यह सोचा
शैतान बन्दर को चबा कर खा जाउंगा मैं कच्चा

मगरमच्छ था चालाक हर पल रहता था मुस्कुराता
पर मन में उसके था कुछ और ही चलता

मगरमच्छ था बहुत ही चतुर शिकारी
इक सुबह आ गई उस बन्दर की भी बारी

नटखट बन्दर पी रहा था झील का पानी
मगरमच्छ छिपा था वहीं यह बात बन्दर ने थी न जानी

मगरमच्छ झपटा और किया उसने ऐसा वार
अन्य पशु सब थे सोये, उस दिन था रविवार

मगरमच्छ ने पकड़ लिया बन्दर को सिर से
इस दिन की प्रतीक्षा कर रहा था वह कब से

अब नटखट बन्दर के उड़ गये होश
पर अभी भी कम हुआ न उसका जोश

वह ज़ोर चिल्लाया, कोई तो मदद करो मेरी, भाया
सब सोये थे कोई न उसकी बात सुन पाया  

फिर भी उस बन्दर ने छोड़ी अपनी आस  
सोचा, मरने से पहले करता हूँ एक और प्रयास

वह मुड़ा और घूमा, फिर घूमा और मुड़ा
वह उछला और कूदा, फिर कूदा और उछला

उसने चलाये अपने हाथ और चलाये अपने पाँव
और न जाने कैसे चल गया उसका यह दांव

उसका पाँव टकराया मगरमच्छ की बायीं आँख से
उसने सोचा यही करना होगा एक बार फिर से

उसने किये मगरमच्छ की आँखों पर अनेकों वार
सीधी चोट लगी मगरमच्छ की आँखों पर हर बार

मगरमच्छ के लिए कठिन हुआ इन चोटों को सहना
बन्दर की बहादुरी का था क्या कहना

जैसे ही दायीं आँख पर पड़ा जोर का वार
मगरमच्छ ने झट से मानी अपनी हार

छूट गया वह बन्दर उस मगरमच्छ की पकड़ से.
झटपट भागा वह जान बचा कर वहां से.

बन्दर था शैतान पर था वह बहुत निडर.
पता ही न लगा किसी को कि भागा वो किधर.

एक वन में रहता है एक बन्दर
वह है थोड़ा नटखट और शैतान

हर पल करता है वह कोई शरारत

कर रखा है उसने सबको बहुत हैरान . 
© आइ बी अरोड़ा


2 comments:

  1. बहुत बढ़िया ! आनंद आया

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