Tuesday 21 July 2015

एक लंबी कहानी---“पत्थर का योद्धा” (भाग 7) 

‘मैं तो ज़ोरान से अधिक बहदुर और शक्तिशाली हूँ,’ रायज़र जोश में आकर बोला.

‘यह बात आप जानते हैं, मैं जानता हूँ, आप के मित्र जानते हैं. पर इस देश के लोग नहीं जानते, राजा भी शायद नहीं जानते. अगर वह जानते होते तो आप ही नायक बनाते. अब आप कुछ ऐसा करो कि सब जान जाएँ कि आप कितने बहादुर हैं, कितने शक्तिशाली हैं,’ वीलीयन ने उसे उकसाया.

‘मेरे मित्र, सब जानते हैं कि मैं तलाविया का एक सवर्श्रेष्ठ योद्धा हूँ,’ रायज़र ने ऊंची आवाज़ में कहा.

“अगर जानते होते तो आप नायक होते और ज़ोरान आपके अधीन एक सिपाही होता, वैसे ही जैसे आज आप हैं, एक मामूली सिपाही.’

‘मुझे क्या करना चाहिये?’ रायज़र उसकी बातों में उलझ गया और अनचाहे ही उससे पूछ बैठा.

‘आप को कुछ ऐसा करना चाहिये की सब पर आपकी धाक जम जाये,’ वीलीयन ने मन में मुस्कुराते हुए कहा.

‘अर्थात?’

‘आप को ज़ोरान को द्वंद युद्ध करने के लिए चुनौती देनी चाहिये.’

‘ज़ोरान के साथ द्वंद युद्ध?’ रायज़र थोड़ा आश्चर्यचकित हो कर बोला.

‘हां, यही एक रास्ता है आपके पास अपना खोया आत्म-सम्मान पाने का. तभी आप के राजा को पता चलेगा कि आप ज़ोरान से बड़े वीर हैं, कि आप एक महान योद्धा हैं, उन्हें अपनी भूल का अहसास होगा और वह अवश्य ही आप को सेना में एक नायक बना देंगे,’ वीलीयन ने उसे उकसाते हुए कहा.

शराब के नशे में रायज़र कुछ सोच न पा रहा था. उसका क्रोध भड़क उठा. वह बोला, ‘तुम ठीक कह रहे हो. ज़ोरान समझता है की वह संसार का सबसे बड़ा योद्धा है, पर वह एक मूर्ख है. उसने अब तक सिर्फ ब्राशिया के सैनिकों से ही लड़ाई लड़ी है. लेकिन ब्राशिया के सभी सैनिक कायर हैं, वह लड़ाई में मरने से डरते हैं और अवसर मिलते ही मैदान से भाग खड़े होते हैं. ऐसे सैनिकों से लड़ कर ज़ोरान अपने को संसार का सबसे बड़ा वीर मानने लगा है. उसने कभी मेरे जैसे योद्धा से लड़ाई नहीं लड़ी. मैं उसे सिखाऊंगा की लड़ना क्या होता है. मेरे मित्र, तुम ने मुझ पर आज बहुत उपकार किया जो मुझे सही रास्ता दिखाया. मुझे तो पहले ही उसे चुनौती देनी चाहिये थी, पर मैं औरतों की भांति मन ही मन में घुटता रहा.’

वीलीयन अपनी चतुराई पर मुसकाया. उसने ज़ोरान को मारने का तरीका ढूंढॅ लिया था; वह रायज़र को हथियार बना कर ज़ोरान पर हमला करेगा और उसे मार डालेगा.

वीलीयन ने चालाकी से अपनी प्रसन्नता छिपा कर कहा, ‘मेरे प्रिये मित्र, कुछ भी निर्णय लेने से पहले आप को अच्छी तरह सोच लेना चाहिये. अभी आप शराब के नशे में हो, ऐसे में कोई निर्णय लेना ठीक न होगा. ज़ोरान एक बहुत शक्तिशाली और बहादुर योद्धा है. उसने कई योद्धाओं को मार गिराया है. वह आप का नायक भी है. अगर आप कोई दुःसाहस कर बैठे तो बाद में पछताना भी पड़ सकता है. मैं एक अच्छा मित्र को खोना नहीं चाहता.’

“तुम्हें लगता है कि मैं द्वंद युद्ध में हार जाउंगा, तुम्हें ऐसा लगता है क्योंकि तुमने मुझे उत्तर देश के बर्बर लोगों के साथ लड़ते नहीं देखा. अगर तुम ने मुझे उन क्रूर लोगों के साथ लड़ते देखा होता तो तुम मेरी शक्ति या बहादुरी पर संदेह नहीं करते. विश्वास रखो यह लड़ाई मैं ही जीतूंगा,’ रायज़र अकड़ कर बोला.

इतना कह, गुस्से से भरा रायज़र वहां से दनदनाता हुआ चला गया. वीलीयन अपनी प्रसन्नता रोक न पा रहा था. उसने अनुमान भी न लगाया था कि इतनी सरलता से रायज़र उसके जाल में फंस जायेगा.

वीलीयन ने ध्यान न दिया था कि सारे समय नीले पंखों वाला सुंदर पक्षी सराय की खिड़की में चुपचाप बैठा उसकी ओर देख रहा था और सारी बातें बड़े ध्यान से सुन रहा था.

रायज़र जब अपनी चौकी पर पहुंचा तब भी वह गुस्से से भन्ना रहा था. उसने बिना सोचे-समझे ज़ोरान को चुनौती दी और कहा वह अगले दिन उससे द्वंद युद्ध करेगा.

ज़ोरान को धक्का लगा. उसने कभी सोचा भी न था कि उसका ही कोई सैनिक उसे चुनौती देखा. परन्तु चुनौती स्वीकार करने के अतिरिक्त उसके पास कोई विकल्प न था. उन दिनों कोई भी वीर योद्धा द्वंद युद्ध की चुनौती ठुकरा न सकता था.

अगर कोई व्यक्ति चुनौती ठुकराता तो उसे उस योद्धा के क़दमों में अपना सर झुकाना पड़ता था जिसने चुनौती दी होती थी. इतना ही नहीं, सर झुका कर अपना टोप उसके क़दमों में रख कर, अपना सबसे प्रिये शस्त्र उस वीर को समर्पित करना पड़ता था. इस तरह द्वंद युद्ध की चुनौती देने वाला विजयी मना जाता था.


कोई भी वीर और गर्वीला आदमी ऐसा अपमान सहन करने को तैयार न होता था. ज़ोरान तो वीरों का वीर था, वह कैसे ऐसा अपमान सह लेता. उसने रायज़र की चुनौती तुरंत स्वीकार कर ली. तय हुआ की अगले दिन सूर्यास्त से एक घंटा पहले दोनों द्वंद युद्ध लड़ेंगे.

(कहानी का अगला भाग कल पढ़ें)
©आइ बी अरोड़ा 

No comments:

Post a Comment