Sunday 28 June 2015

“तीन शिकारी”

रिंकू बन्दर विचित्र वन में रहता था. वह अपने आप को बहुत बुद्धिमान समझता था. 

एक दिन वह वन में यूँही यहाँ-वहां घूम रहा था. उसने वन में तीन आदमियों को देखा.
“यह तीन लोग इस वन में क्या कर रहे हैं?” रिंकू ने अपने आप से कहा, “यह तीनों अवश्य शिकारी होंगे, शेर को मारने आये होंगे. अगर इन्होंने शेर को मार डाला तो हम पर बड़ी मुसीबत आ जायेगी. मुझे कुछ करना होगा. अपने वनराज को इन शिकारियों से बचाना होगा. अगर मैंने वनराज को इस मुसीबत से बचा लिया तो वनराज बहुत खुश होंगे, मुझे पुरूस्कार देंगे, मेरी प्रशंसा करेंगे.”

रिंकू मन ही मन खुश होने लगा. वह शिकारियों से निपटने का उपाय सोचने लगा. तभी उसे भोला भालू दिखाई दिया. उसने सोच, “क्या भोला से बात करूं? नहीं, ऐसा नहीं करूंगा. अगर भोला से बात की तो शेर को बचाने का श्रेय इसे भी मिलेगा. सब भोला की भी प्रशंसा करेंगे. वनराज आधा पुरूस्कार इसे दे देंगे. जो करना है मुझे अकेले ही करना होगा. सारी प्रशंसा और सारा पुरूस्कार मुझे ही मिलना चाहिये.”

सोचते-सोचते उसके मन में आया कि शिकारियों के पास हथियार भी होंगे. जो कुछ करना होगा बहुत सावधानी के साथ करना होगा. तभी रिंकू की द्रष्टि एक पेड़ पर लगे मधुमक्खियों के छत्ते पर पड़ी.

वह झटपट उस पेड़ पर चढ़ गया और मधुमक्खियों से बोला, “अपनी रानी को बुलाओ, मुझे कुछ बात करनी है.”

एक मधुमक्खी ने पूछा, “क्या बात है? जो कहना है मुझ से कहो.”

“अरे समय नष्ट न करो, तुम सब पर बड़ी मुसीबत आने वाली है, जल्दी अपनी रानी को बुलाओ.’

मधुमक्खी घबरा गई और अपनी रानी को बुला लाई. रानी से रिंकू ने कहा, “मैंने अभी-अभी वन में तीन आदमियों को देखा है. वह लोग शहद चुराने आये हैं. मैंने छिप कर उनकी बात सुन ली थी.’

रानी भी घबरा गई, “अब हम अपनी रक्षा कैसे करें?”

“इससे पहले कि वह कुछ कर पायें तुम सब मिल कर उन तीनों पर हमला कर दो. वह भाग खड़े होंगे,” रिंकू ने कहा.

रानी ने कहा, “यही ठीक होगा, मैं सब मधुमक्खियों को बुलाती हूँ.” रिंकू की बात सुन सब मधुमक्खियाँ गुस्से से आग बबूला हो गयीं. 

"चलो उन लोगों को यहाँ से भगा दे." सब मधुमक्खियाँ एक साथ बोलीं.

रिंकू एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर कूदता आगे चला. मधुमक्खियों का झुण्ड उसके पीछे-पीछे आता रहा. एक जगह पहुँच, रिंकू बन्दर ने अंगुली से इशारा कर मधुमक्खियों से कहा, “वह लोग तुम्हारा शहद चुराने आये हैं.”

मधुमक्खियों ने उन तीनों पर हमला कर दिया. तीनों घबरा कर यहाँ-वहां भागने लगे. इतने में शंकर हाथी उधर आया. उसने डपट कर मधुमक्खियों से पूछा, “यह क्या हो रहा है, तुम इन लोगों के पीछे क्यों पड़ी हो?”

सब शंकर हाथी से डरते थे. मधुमक्खियों भी डरती थीं. वह सब सहम गईं. पर उनके कुछ कहने से पहले ही रिंकू बंदर बोला, “दादा, यह तीनों शिकारी हमारे वनराज को मारने आये थे. मैंने अपनी सूझबूझ से वनराज को बचा लिया.”

मधुमक्खियों उसकी बात सुन हैरान हो गईं. रानी मधुमक्खी बोली, “नहीं-नहीं, यह तीनों तो हमारा शहद चुराने आये हैं. इस बन्दर ने ही हमें ऐसा बताया था.”

शंकर कुछ समझ न पाया. उसने उन तीनों आदमियों से ही पूछा, “आप लोग कौन हो और इस वन में क्या कर रहे हो?”

“हम महाराज विचित्र देव के अधिकारी हैं. महाराज को यह वन बहुत अच्छा लगता है. उन्होंने हमें इस वन में भेजा है, इस वन और यहाँ के सभी प्राणियों की देखभाल करने के लिए. पर इन मधुमक्खियों ने बिना कारण ही हम पर हमला कर दिया.”

उनकी बात सुन रिंकू बन्दर घबरा गया. वह समझ गया कि उस ने मूर्खतापूर्ण काम कर दिया है.

वो वहां से चुपचाप खिसकने लगा. शंकर हाथी ने उसे गर्दन से पकड कर वहीं रोक लिया.

“क्या हो रहा है? क्या गड़बड़ घोटाला किया है तुमने?”

“मुझे लगा यह तीनों वन में शेर का शिकार करने आये हैं. इसलिये मैंने मधुमक्खियों की सहायता से इन्हें मार भगाने की योजना बनाई थी.”

“तुम ने झूठ बोला था हमारे साथ?” सब मधुमक्खियाँ एक साथ गुस्से से बोलीं.

“वनराज को इन शिकारियों से बचाने के लिए मुझे झूठ बोलना पड़ा,” अब रिंकू के पसीने छूट रहे थे.

“मुर्ख, ऐसा कुछ करने से पहले तुमने किसी से बात भी न की? तुम ने सोचा होगा कि तुम अकेले ही शेर को इस मुसीबत से बचा कर हीरो बन जाओगे. सब तुम्हारी प्रशंसा करेंगे, तुम्हारा गुणगान करेंगे, वनराज तुम्हें पुरूस्कार देंगे.”

रिंकू बन्दर के चेहरे का रंग उड़ गया क्योंकि हाथी उसके मन की बात जान गया था. 
उसकी बोलती बंद हो गई.

“मैंने सच कहा न? अभी तो तुम मुझसे पुरूस्कार लो, बिना सोच-समझ के काम करने के लिए और मधुमक्खियों के साथ झूठ बोलने के लिए,” इतना कह हाथी ने उसे ज़ोर से एक थप्पड़ मारा और कहा, “आगे से बिना सोचे समझे कोई काम न करना, और पुरस्कार और प्रशंसा पाने के लिए तो कभी भी कुछ न करना.”

रिंकू बन्दर की सूरत देख कर वहां खड़े सब जने उस पर हंस दिए.

©आइ बी अरोड़ा 

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